अब नेपाल - एक और प्राकृतिक आपदा
फिर एक बार और कहर बरपा है प्रकृति का, इतना की बयां करना भी नामुमकीन सा लगता है।
हम फिर स्तब्ध से मूक हैं इस प्राकृतिक आपदा से।
प्रकृति से छेड़छाड़ कब तक ? जागरूक अभियान बहुत हैं और जागरूकता फैलाने वालों की भी कोई कमी नहीं है। और तो और इस सब से परे, ऐसे भी लोग हैं जो कि इस आपदा में भी केवल अपना वर्चस्व ढूंढ रहे होंगे।
Nepal Earthquake |
अब बस, और कितना सहेगी ये धरती और प्राकृति ।